जब जीवन की थकन
उदासियों के बोझ
तोड़ने लगते हैं कंधे
तो लगता है लौट जाएं अपने घर
जहां जीवन से भरी गेहूँ की बालियाँ
अब भी चैता गाती होंगी
नेह छोह के रंग अभी भी छपे होंगे
फागुन की दीवार पर
असाढ़ के भीगे दिन
सावन को गीत गाने आमंत्रित करते होंगे
भादों झरता होगा दालान की ओरी से
अब भी राह टेरती माँ
उसे देखते ही दूध भात लेकर आएगी
बाबा की आश्वस्ति भरी आंखें
मानस के स्वर
लालटेम की टिमटिमाती लौ
निरबंसियों के मटियारे गीत
सभी तो यथावत होंगे
बड़े घर का ऊंचा दरवाजा
वहीं कहीं देहरी पर दिया अब भी जल रहा होगा
जिसे बाल कर छोड़ आये थे
फलों से लदे बाग
जल से लहलहाता ताल
पनघट की रौनक
पकी फसलों वाले खेत
अन्न से भरे बखार
सब के सब समय की छीजन से अछूते होंगे
गांव कभी नही भूलता अपने बच्चों को
चौपालों में हर रोज उन्हें याद किया जाता है
जो एक एक कर चले गए होंगे
अभी भी उनके नाम के गीत गाये जाते हैं
कोलतार की तपती सड़कों पर जलते तलुओं को
कच्चे मेड़ों की ठंडक चाहिए
बस सबको अपना गांव वाला घर चाहिए
हर कोई लौट जाना चाहता है अपने घर को
जैसे घोंसले में लौटती है बया
जैसे सांझ को लौटती हैं गायें
जैसे बाजार से लौटते हैं पिता
जैसे मायके में आती हैं बेटियां
जैसे अयोध्या लौट आये थे राम चौदह बरस बनवास से
जैसे लौट आता है पंछी फिर से जहाज पर आकाश से
पर सनद रहे
लौटना तो बादल बनकर
खेत बनकर
ताल बनकर
फूल बनकर बाग बनकर
गेंहू और धान बनकर
गीत बनकर थाप बनकर
स्नेह और विश्वास बनकर
अगर ऐसे नही लौट पाए तो
लौटना चले जाने से भी बदतर होगा
10 टिप्पणियां:
DBS College ki yaden taja ho gai
Ati sundar
बहुत ही खूबसूरती से संस्मरण का उल्लेख किया है आपने। साथ में यह एक आशावादी कविता है। कवि यह नही चाहते कि वापिस गांवों की सभ्यता भी शहरों से वापिस आने के वजह से दूषित हो जाएं। अतः वही लोग जाए जिनको उस माटी से प्रेम हो लगाव हो।
बहुत बहुत शुभकामनाये भैया आपके इस कविता के लिए।
वर्तमान संदर्भ में लौटना सिर्फ मौत के भय से है।
अच्छा ही सोचना ही सकारात्मकता है । घर में ही नाल गड़ी है , उस मोह और अपने होने का अहसास कभी मरता है ।
बहुत सही बात कही है आपने यदि लौटना है तो गांव को शहरी हवा को दूर रखना होगा और अपनी माटी के सच्चे सपूत बनकर कर दिखाना होगा, वर्ना गांव लौटना व्यर्थ होगा
बहुत अच्छी सामयिक रचना
बहुत ही बढ़िया तरीके से सारी आवश्यक बातें कह दीं।
सार्थक आलेख
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना.
बहुत गहरी बात ... सच है कुछ निश्चय कुछ विश्वास ... ये साथ हैं तो नई राह निश्चित है ... घर लौटना भी सार्थक है ...
बहुत सही बात कही है आपने
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