ख्वाब देखने की जिद थी लेकिन आँखों में नींद नही
उन्ही सवालों पर दिल हारे उत्तर की उम्मीद नही ।
मुझको भी तो इश्क हुआ था पर कैसे साबित कर दूँ
चिट्ठी जो तुम तक भेजी थी उसकी कोई रसीद नही।
ये रानाई जलसे महफ़िल मंगल ग्रह की बातें सब
चाँद फुलाकर मुंह बैठा है यह तो कोई ईद नही ।
मौसम जैसेे चले गये तुम ऐसे कोई जाता क्या
मुड़ कर भी इक बार न देखा कोई भी ताकीद नही।
रात चाँदनी सबा सुहानी लहरें अब भी उठती हैं
वही समन्दर वही किनारे पर अब कोई मुरीद नही।
उन्ही सवालों पर दिल हारे उत्तर की उम्मीद नही ।
मुझको भी तो इश्क हुआ था पर कैसे साबित कर दूँ
चिट्ठी जो तुम तक भेजी थी उसकी कोई रसीद नही।
ये रानाई जलसे महफ़िल मंगल ग्रह की बातें सब
चाँद फुलाकर मुंह बैठा है यह तो कोई ईद नही ।
मौसम जैसेे चले गये तुम ऐसे कोई जाता क्या
मुड़ कर भी इक बार न देखा कोई भी ताकीद नही।
रात चाँदनी सबा सुहानी लहरें अब भी उठती हैं
वही समन्दर वही किनारे पर अब कोई मुरीद नही।