हिंदी की दशा उस माँ के जैसे हो गयी है जिसे " थोपा हुआ " कह कर उसे बेघर कर दिया जाता है। तमिल और तेलुगू वालों की एक बात समझ में नहीं आती मुझे कि अंगरेजी बोलने से उनकी भाषायी अस्मिता पर कोई आघात नहीं लगता तो हिंदी बोलने से कैसे लग जाता है। घर में कुत्ता तो पल जाएगा किन्तु बूढ़ी माँ थोपी हुयी लगती है। हिंदी माने उर्दू, हिंदी माने तमिल, हिंदी माने तेलुगू, कन्नड़, ओड़िया, बंगाली, मैथिली, डोगरी।
भारत की सभी क्षेत्रीय भाषाओ को पूर्ण स्वायत्तता और सम्मान के साथ लेकर चलने में यदि कोई भाषा समर्थ है तो वो हिंदी ही है। अंगरेजी की प्रकृति दमनकारी है। यह वर्गभेद का अहसास कराती है। मैंने अक्सर देखा कि लोग रुआब जमाने के लिए अंगरेजी गिटपिटाते हैं।
हिंदी लड़ती नही ,यह दिलों को जोड़ती है।
हिंदी है वही जिसे कहते तमिल तेलुगू,
सांझी जबान में बसी है हिंद की खुशबू।
आओ प्यार की भाषा बोलें। आओ हिंदी बोलें।
भारत की सभी क्षेत्रीय भाषाओ को पूर्ण स्वायत्तता और सम्मान के साथ लेकर चलने में यदि कोई भाषा समर्थ है तो वो हिंदी ही है। अंगरेजी की प्रकृति दमनकारी है। यह वर्गभेद का अहसास कराती है। मैंने अक्सर देखा कि लोग रुआब जमाने के लिए अंगरेजी गिटपिटाते हैं।
हिंदी लड़ती नही ,यह दिलों को जोड़ती है।
हिंदी है वही जिसे कहते तमिल तेलुगू,
सांझी जबान में बसी है हिंद की खुशबू।
आओ प्यार की भाषा बोलें। आओ हिंदी बोलें।