बादलों का घूँघट
हौले से उतार कर
चम्पई फूलों से ,
रूप का सिंगार कर
चम्पई फूलों से ,
रूप का सिंगार कर
अम्बर ने प्यार से , धरती का तन छुआ ।
मखमली ठंडक लिये ,महीना अगहन हुआ ॥
मखमली ठंडक लिये ,महीना अगहन हुआ ॥
धूप गुनगुनाने लगी
शीत मुस्कुराने लगी
मौसम की ये खुमारी,
मन को अकुलाने लगी
शीत मुस्कुराने लगी
मौसम की ये खुमारी,
मन को अकुलाने लगी
गुड़ से भीना आग का जो मीठापन हुआ ।
मखमली ठंडक लिये ,महीना अगहन हुआ ॥
मखमली ठंडक लिये ,महीना अगहन हुआ ॥
हवायें हुयी संदली
चाँद हुआ शबनमी
मोरपंख सिमट गये ,
प्रीत हुयी रेशमी
चाँद हुआ शबनमी
मोरपंख सिमट गये ,
प्रीत हुयी रेशमी
बातों-बातों मे जब ,गुम कहीं दिन हुआ ।
मखमली ठंडक लिये ,महीना अगहन हुआ ॥
मखमली ठंडक लिये ,महीना अगहन हुआ ॥