सोमवार, 24 अक्टूबर 2011

दियना करे उजास

















खेतों में बागो में दियना करे उजास,
मीठी सी लौ भर रही चारो ओर मिठास.

दसो दिशाओं में घुली भीनी-भीनी गंध,
कण-कण पुलकित हो उठे लूट रहे आनंद.

नयी फसल लेकर आयी घर में गुड औ धान,
लईया खील बताशों से अभिनंदित मेहमान.

गेरू गोबर माटी से लिपा पुता है गाँव,
घर से भगे दलिद्दर सर पे रखकर पाँव.

झांझ मजीरा ढोलक बाजे झूम रही चौपाल,
नाचे मन हो बावरा देकर ताल पे ताल.

फूटी मन में फुलझड़िया पूरण होगी आस,
परदेसी पिऊ आ गए गोरी  छुए  अकास.

दीवाली ने कर दिया ज्योतिर्मय संसार,
सबके आँगन में खिले सुख समृद्धि अपार.