बहुत कम किताबें ऐसी होती हैं जो एक बैठक में ही समाप्त हो जाती हैं। मतलब एक बार पढ़ना शुरू किये तो आप बिना खत्म किये उठ नहीं सकते। फरवरी नोट्स एक ऐसा ही उपन्यास है।
प्रेम सृष्टि की सबसे मीठी अनुभूति का नाम है। कातिक के नए गुड़ की तरह, जेठ में पेंड़ पर पके पहले आम की तरह... यह व्यक्ति को किसी भी उम्र में छुए तो प्यारा ही लगता है। कभी कभी अपने बुरे स्वरूप में आ कर सामाजिक मर्यादा को तोड़ता है, तब भी मीठा ही लगता है। व्यक्ति समझता है कि गलत हो रहा है, पर रुक नहीं पाता। बहता जाता है... फरवरी नोट्स ऐसे ही एक बहाव की कहानी है, जो बुरी हो कर भी मीठी लगती है।कहते हैं फरवरी का महीना प्रेम का महीना होता है। सबके जीवन में कोई न कोई फरवरी ऐसी जरूर होती है जिसे याद कर के वह बुढ़ापे तक मुस्कुरा उठता है। फरवरी नोट्स ऐसी ही कुछ यादों का संकलन है।
उपन्यास की कहानी है अपने अपने जीवन में खुश समर और आरती की, जो कॉलेज लाइफ की किसी फरवरी की यादों में बंध कर वर्षों बाद दुबारा मिलते हैं, और एक दूसरे का हाथ पकड़ कर कुछ कदम साथ चलते हैं। यह साथ अच्छा हो न हो, मीठा अवश्य है। इतना मीठा, कि पाठक का मन उस मिठास से भर जाता है।
हिन्दी में बहुत कम लेखक ऐसे हैं जो प्रेम लिखते समय वल्गर नहीं होते। काजल की कोठरी से बच के निकलना बड़ा कठिन होता है। डॉ पवन विजय इस मामले में अलग हैं। वे बेदाग निकल आये हैं। वे गलती लिखते समय भी गलती नहीं करते...
मैं व्यक्तिगत रूप से ऐसी कहानियों का समर्थक नहीं, फिर भी मैंने फरवरी नोट्स बिना रुके एक बार में ही पढ़ी है। यह शायद हम सब के भीतर का दोहरापन है...
तो यदि आप लीक के हट कर कुछ अच्छा पढ़ना चाहते हैं, तो फरवरी नोट्स अवश्य पढ़ें। मेरा दावा है, आप निराश नहीं होंगे।
सर्वेश तिवारी श्रीमुख