बहुत समय पहले शैली की एक कविता पढी थी, 'ओड टू द वेस्टर्न विंड'। भाव यह था कि स्वय को तप्त रखकर यह पवन बारिश का कारण बन जाता है। तीव्र वेग होने के कारण जमीन पर छितरे झाड झंख़ाडो को उडा ले जाता है। इसकी दिशा हमेशा पूर्व की ओर है। वह कविता मन मे बस गयी। बरसो बरस बाद मेरे द्वारा बनाया गया यह ब्लाग उसी भाव का स्फुटन है।
समाजशास्त्रीय मंच: The Socological Forum
मंगलवार, 31 दिसंबर 2013
शुक्रवार, 27 दिसंबर 2013
जब से बिजुली गयी गांव से सतयुग लौटा है
जब से बिजुली ली गयी गांव से
समाजवाद लौटा है
+++++++
टेपरिकाट के आगे.…
मंगरू मिसिर करीवा चस्मा
लाल रुमाल जैक्सनवा झटका
(अब)
मुरई मरचा लगावत है
मनै मन फगुवा गावत है
+++++++
टीवी के आगे …
छोटकी काकी पिच्चर देखें
बिसरती से इसनो पौडर लेंवें
(अब)
जोन्हरी के चिरई उड़ावत है
मनै मन कका के गरियावत है
++++++++
किरकेट के आगे.…
जवनके तब पगलाय रहे
मैचवै में अंखिया गड़ाय रहे
(अब)
बाजा में कृषि जगत आवत है
गया भाय लोकगीत गावत है
+++++++++
चूल्हा बरा दुआरे पे
लकड़ी आवे पछवारे से
सुक्खू सोभा जोखू झूरी
घुरहू झुम्मू गाढ़ा सुग्गी
ऊदल पंडा छंगू बोलै
जउ जाई बिजुरिया ठेंगे से
टूट खंभवा ठेंगे से
सरकारी तार सरकारी खाद
लापटपवा टबलेटवा ठेंगे से
सरकारी पईसवा(पिनसिन औ भत्ता) ठेंगे से
++++++++++
बोल बहादुर जै चउरा मईया
जै जै भंईसी जै जै गईया
आपन गाऊं गिराऊ के जै हो
खेत अऊर खरिहान के जै हो
जोगीबीर से बडका गाटा
पीपल पोखर पनघट तलिया
मेंड़ मड़ईया कोलिया ठीहा
दीया बाती लिट्टी चोखा
रस माठा औ' लपसी ठोकवा
कजरी फगुआ चइता बिरहा
पायल छागल पियरी कजरा
आल्हा कीर्तन बन्नी बन्ना
चिल्होर पाती ओक्का बोक्का
मूसर ओखरी चक्की जांता
+++++++++++
नखलऊ डिल्लिया मुर्दाबाद
आपन जांगर जिंदाबाद
डीजल फीजल गै भट्ठा मा
तारा इनारा जिंदाबाद
लोनिया टेक्टर भाड़ में झोंको
हीरा मोती जिंदाबाद
++++++++++++
जै बोल महाबीर बाबा
जै बोल महाबीर बाबा
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जब से बिजुली गयी गांव से
समाजवाद लौटा है
समाजवाद लौटा है
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टेपरिकाट के आगे.…
मंगरू मिसिर करीवा चस्मा
लाल रुमाल जैक्सनवा झटका
(अब)
मुरई मरचा लगावत है
मनै मन फगुवा गावत है
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टीवी के आगे …
छोटकी काकी पिच्चर देखें
बिसरती से इसनो पौडर लेंवें
(अब)
जोन्हरी के चिरई उड़ावत है
मनै मन कका के गरियावत है
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किरकेट के आगे.…
जवनके तब पगलाय रहे
मैचवै में अंखिया गड़ाय रहे
(अब)
बाजा में कृषि जगत आवत है
गया भाय लोकगीत गावत है
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चूल्हा बरा दुआरे पे
लकड़ी आवे पछवारे से
सुक्खू सोभा जोखू झूरी
घुरहू झुम्मू गाढ़ा सुग्गी
ऊदल पंडा छंगू बोलै
जउ जाई बिजुरिया ठेंगे से
टूट खंभवा ठेंगे से
सरकारी तार सरकारी खाद
लापटपवा टबलेटवा ठेंगे से
सरकारी पईसवा(पिनसिन औ भत्ता) ठेंगे से
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बोल बहादुर जै चउरा मईया
जै जै भंईसी जै जै गईया
आपन गाऊं गिराऊ के जै हो
खेत अऊर खरिहान के जै हो
जोगीबीर से बडका गाटा
पीपल पोखर पनघट तलिया
मेंड़ मड़ईया कोलिया ठीहा
दीया बाती लिट्टी चोखा
रस माठा औ' लपसी ठोकवा
कजरी फगुआ चइता बिरहा
पायल छागल पियरी कजरा
आल्हा कीर्तन बन्नी बन्ना
चिल्होर पाती ओक्का बोक्का
मूसर ओखरी चक्की जांता
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नखलऊ डिल्लिया मुर्दाबाद
आपन जांगर जिंदाबाद
डीजल फीजल गै भट्ठा मा
तारा इनारा जिंदाबाद
लोनिया टेक्टर भाड़ में झोंको
हीरा मोती जिंदाबाद
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जै बोल महाबीर बाबा
जै बोल महाबीर बाबा
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जब से बिजुली गयी गांव से
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