बहुत समय पहले शैली की एक कविता पढी थी, 'ओड टू द वेस्टर्न विंड'। भाव यह था कि स्वय को तप्त रखकर यह पवन बारिश का कारण बन जाता है। तीव्र वेग होने के कारण जमीन पर छितरे झाड झंख़ाडो को उडा ले जाता है। इसकी दिशा हमेशा पूर्व की ओर है। वह कविता मन मे बस गयी। बरसो बरस बाद मेरे द्वारा बनाया गया यह ब्लाग उसी भाव का स्फुटन है।
समाजशास्त्रीय मंच: The Socological Forum
बुधवार, 21 नवंबर 2012
रविवार, 15 अप्रैल 2012
ऋषि कलाम ही अगले राष्ट्रपति हो. आप क्या सोचते है?
मै चाहता हू कि देश का राष्ट्रपति किसी राजनीतिक दल का पिछलग्गू ना हो ना ही किसी व्यक्ति विशेष का कृपापात्र. वह किसी नेता या नेती के यहा रसोईया या झाडू लगाने वाला ना हो. एक गरिमामयी शख्शियत का मालिक हो जिसकी वजह से देश का स्वाभिमान बढा हो. ऐसा कौन हो सकता है . सोचने वाली बात नही. ऋषि ए पी जे कलाम से बेहतर कौन हो सकता है
वायु पुराण में ॠषि शब्द के अनेक अर्थ बताए गए हैं-
"ॠषित्येव गतौ धातु: श्रुतौ सत्ये तपस्यथ्।
एतत् संनियतस्तस्मिन् ब्रह्ममणा स ॠषि स्मृत:॥" इस श्लोक के अनुसार 'ॠषि' धातु के चार अर्थ होते हैं- गति श्रुति सत्य तथा तपस्या. ये चारो गुण कलाम साहब मे है इसलिये मै चाहता हू कि देश का नेतृत्व वह पुन: सम्भाले आप क्या सोचते है?
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कलाम को समर्पित
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आप मिसाइल मैन है या
एक मिसाल ,
जो हम जैसो के लिए बन गए है।
लेकिन,
आपकी सटीक परिभाषा दूंगा
एक मशाल के रूप में ।
आपने ता-उम्र जलकर
रोशनी दी है
सौ करोड़ से अधिक आत्माओं के लिए
आप बनगए है
अक्षय ऊर्जा स्रोत।
आपकी रहस्यमयी मुसकान
मुझे चुनौती देती है
और प्रेरित करती है
'दिया' बन जाने को
हताशा के अँधेरे में ,
और
भय की ठिठुरन में
'अग्नि' बन जाने को।
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वायु पुराण में ॠषि शब्द के अनेक अर्थ बताए गए हैं-
"ॠषित्येव गतौ धातु: श्रुतौ सत्ये तपस्यथ्।
एतत् संनियतस्तस्मिन् ब्रह्ममणा स ॠषि स्मृत:॥" इस श्लोक के अनुसार 'ॠषि' धातु के चार अर्थ होते हैं- गति श्रुति सत्य तथा तपस्या. ये चारो गुण कलाम साहब मे है इसलिये मै चाहता हू कि देश का नेतृत्व वह पुन: सम्भाले आप क्या सोचते है?
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कलाम को समर्पित
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आप मिसाइल मैन है या
एक मिसाल ,
जो हम जैसो के लिए बन गए है।
लेकिन,
आपकी सटीक परिभाषा दूंगा
एक मशाल के रूप में ।
रोशनी दी है
सौ करोड़ से अधिक आत्माओं के लिए
आप बनगए है
अक्षय ऊर्जा स्रोत।
आपकी रहस्यमयी मुसकान
मुझे चुनौती देती है
और प्रेरित करती है
'दिया' बन जाने को
हताशा के अँधेरे में ,
और
भय की ठिठुरन में
'अग्नि' बन जाने को।
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गुरुवार, 23 फ़रवरी 2012
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