बहुत समय पहले शैली की एक कविता पढी थी, 'ओड टू द वेस्टर्न विंड'। भाव यह था कि स्वय को तप्त रखकर यह पवन बारिश का कारण बन जाता है। तीव्र वेग होने के कारण जमीन पर छितरे झाड झंख़ाडो को उडा ले जाता है। इसकी दिशा हमेशा पूर्व की ओर है। वह कविता मन मे बस गयी। बरसो बरस बाद मेरे द्वारा बनाया गया यह ब्लाग उसी भाव का स्फुटन है।
17 टिप्पणियां:
बहुत नये और अनूठे ढंग से चिरपरिचित भावों को व्यक्त किया ।
ओ सखी,
क्या तुमने बसंत को
आँचल से बाँध रखा है?
बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|
Nice post
ओ सखी,
क्या तुमने बसंत को
आँचल से बाँध रखा है?
वाह वाह ………क्या खूब कहा है।
basanti jaroor aayegi...intajar kare...good.
वाह पवन जी क्या बात है..
वसंत की प्रतीक्षा मे आतुर मन की सुन्दर प्रस्तुति, मज़ेदार।
पवन जी
आपका अंदाज पसंद आया ...
ऋतुराज को आँचल में बांध अलि
मार्तंड की रक्तिम लालिमा ढली
गुलमोहर मोहक फूलों से लदा फदा
मोहक ऐसा वर्णन पढने को मिलता यदा कदा /
गजब-गजब के बिंब हैं भाई! बसंत को आंचल से बांध रखा है।
वैसे बंधा रहेगा तो बनन में बागन में बगरेगा कैसे बसंत?
वैसे कविता अच्छी लगी।
बसंत हमसे रूठकर चला गया है काश वो हमें बाँध पाता
sawal hai....
ओ सखी,
क्या तुमने बसंत को
आँचल से बाँध रखा है?
jawaw hai
pachu-pawan ne,
is basant ko,
bimbo se bandh rakha hai......
अधखिले है गुलमोहर
और कोयल मौन प्रतीक्षारत है
फूटे नहीं बौर आम के
नए पत्तो के अंगारे
LAJAWAV.......SIR
ओ सखी,
क्या तुमने बसंत को
आँचल से बाँध रखा है?
और आपने अपनी कलम से बाँध रखा है कोई जादू !
बहुत खूबसूरत है आपका अंदाज़-ए-बयां
लेकिन पता यह भी तो चले कि आखिर बांधने वाला है कौन।
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अंतरिक्ष में वैलेंटाइन डे।
अंधविश्वास:महिलाएं बदनाम क्यों हैं?
प्रिय बंधुवर डॉ.पवन मिश्र जी
सांझ ने उड़ेल दिया सारा सिन्दूर ढाक के फूलो में
…सुंदर संक्षिप्त रचना के लिए आभार !
♥ ♥ प्रेम बिना निस्सार है यह सारा संसार !
♥ प्रणय दिवस की मंगलकामनाएं! :)
बसंत ॠतु की भी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
सखि बसंत को आँचल से न बाँधती तो आपकी कलम कैसे अपना मुंह खोलती/ सुन्दर भाव। बधाई।
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