बुधवार, 24 दिसंबर 2014

गीत नित्य नया गाया: अटलजी को उनके जन्मदिवस भर ढेर सारी बधाइयां

हम सबके बेहद प्रिय नेता व जनकवि अटलजी को उनके जन्मदिवस भर ढेर सारी बधाइयां 
अटलजी के  गीतों के लिए कुछ पंक्तियाँ समर्पित   हैं . 
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गीत नित्य नया गाया 

गान यह युगीन है
प्राचीन है नवीन है 
पत्थरो को पिघला के 
अन्धकार को हरा के  
प्राची की अरुणिमा में 
जीवन अंकुर उगाया 
गीत नित्य नया गाया 

धरती से अम्बर तक 
सागर से परबत तक 
तुम अजातशत्रु रहे 
सदा विश्वमित्र रहे 
प्राणिमात्र मुक्ति हेतु 
बुद्ध फिर से मुस्कुराया 
गीत नित्य नया गाया 

शरद चांदनी उलझी 
या कि जेठ में झुलसी 
सावन में गीले भीगे  
अंतर्मन कितने रीते 
निजमन की महागाथा  
स्वयं को ही गुनगुनाया  
गीत नित्य नया गाया 

साम की परंपरा में 
ज्ञान की मनोहरा में 
काल के कपाल पर 
जय भारती की लिख  
विश्व किया सम्मोहित     
स्वप्न गीत को सुनाया 
गीत नित्य नया गाया 

गीत नित्य नया गाया