शनिवार, 12 फ़रवरी 2011

क्या तुमने बसंत को आँचल से बाँध रखा है?










अधखिले  है गुलमोहर
और कोयल मौन प्रतीक्षारत है
फूटे नहीं बौर आम के
नए पत्तो के अंगारे
अभी भी ओस से गीले है
सांझ ने उड़ेल दिया  
सारा सिन्दूर ढाक के फूलो में
पर रक्तिम आभा ओझल है
ओ सखी,
क्या तुमने बसंत को
आँचल से बाँध रखा है?



17 टिप्‍पणियां:

palash ने कहा…

बहुत नये और अनूठे ढंग से चिरपरिचित भावों को व्यक्त किया ।

Patali-The-Village ने कहा…

ओ सखी,
क्या तुमने बसंत को
आँचल से बाँध रखा है?
बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|

Harshkant tripathi"Pawan" ने कहा…

Nice post

vandana gupta ने कहा…

ओ सखी,
क्या तुमने बसंत को
आँचल से बाँध रखा है?

वाह वाह ………क्या खूब कहा है।

G.N.SHAW ने कहा…

basanti jaroor aayegi...intajar kare...good.

एस एम् मासूम ने कहा…

वाह पवन जी क्या बात है..

बेनामी ने कहा…

वसंत की प्रतीक्षा मे आतुर मन की सुन्दर प्रस्तुति, मज़ेदार।

केवल राम ने कहा…

पवन जी
आपका अंदाज पसंद आया ...

ashish ने कहा…

ऋतुराज को आँचल में बांध अलि
मार्तंड की रक्तिम लालिमा ढली
गुलमोहर मोहक फूलों से लदा फदा
मोहक ऐसा वर्णन पढने को मिलता यदा कदा /

अनूप शुक्ल ने कहा…

गजब-गजब के बिंब हैं भाई! बसंत को आंचल से बांध रखा है।

वैसे बंधा रहेगा तो बनन में बागन में बगरेगा कैसे बसंत?

वैसे कविता अच्छी लगी।

Dr Kiran Mishra ने कहा…

बसंत हमसे रूठकर चला गया है काश वो हमें बाँध पाता

सञ्जय झा ने कहा…

sawal hai....

ओ सखी,
क्या तुमने बसंत को
आँचल से बाँध रखा है?

jawaw hai

pachu-pawan ne,
is basant ko,
bimbo se bandh rakha hai......

DEVESHWAR AGGRAWAL ने कहा…

अधखिले है गुलमोहर
और कोयल मौन प्रतीक्षारत है
फूटे नहीं बौर आम के
नए पत्तो के अंगारे

LAJAWAV.......SIR

'साहिल' ने कहा…

ओ सखी,
क्या तुमने बसंत को
आँचल से बाँध रखा है?


और आपने अपनी कलम से बाँध रखा है कोई जादू !
बहुत खूबसूरत है आपका अंदाज़-ए-बयां

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

लेकिन पता यह भी तो चले कि आखिर बांधने वाला है कौन।

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अंतरिक्ष में वैलेंटाइन डे।
अंधविश्‍वास:महिलाएं बदनाम क्‍यों हैं?

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

प्रिय बंधुवर डॉ.पवन मिश्र जी

सांझ ने उड़ेल दिया सारा सिन्दूर ढाक के फूलो में
…सुंदर संक्षिप्त रचना के लिए आभार !


♥ प्रेम बिना निस्सार है यह सारा संसार !
♥ प्रणय दिवस की मंगलकामनाएं! :)

बसंत ॠतु की भी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

- राजेन्द्र स्वर्णकार

निर्मला कपिला ने कहा…

सखि बसंत को आँचल से न बाँधती तो आपकी कलम कैसे अपना मुंह खोलती/ सुन्दर भाव। बधाई।