सोमवार, 29 नवंबर 2010

तुम्ही से रूठना तुमको मनाना अच्छा लगता है













अकेले में तुम्हारी याद आना
अच्छा लगता है,
तुम्ही से रूठना तुमको मनाना
अच्छा लगता है।

धुन्धलकी शाम जब मुंडेर से
पर्दा गिराती है,
सुहानी रात अपनी लट बिखेरे,
पास आती है,
तुम्हारा चाँद सा यूँ छत पे आना,
अच्छा लगता है।

फिजाओं में घुली रेशम नशीला
हो रहा मौसम,
ओढ़कर फूल का चादर सिमटती
जा रही शबनम,
हौले से तुम्हारा गुनगुनाना
अच्छा लगता है।

अकेली बाग़ में बुलबुल बिलखती है
सुलगती है,
रूमानी चांदनी मुझपर घटा बनकर
पिघलती है,
तुम्हारा पास आना मुसकराना
अच्छा लगता है

अकेले में तुम्हारी याद आना
अच्छा लगता है।

19 टिप्‍पणियां:

PURNIMA BAJPAI TRIPATHI ने कहा…

बहुत अच्छी व भावपूर्ण रचना है इतनी अच्छी अभिव्यक्ति के लिए धन्यवाद .

Mohinder56 ने कहा…

यादों में जो कशिश है वह किसी भी चीज में नहीं.... ख्वाब ज्यादातर हकीकत से बेहतर होते हैं.... सुन्दर रचना.

सदा ने कहा…

सुन्‍दर शब्‍दों के साथ भावमय प्रस्‍तुति ।

SURYABHAN CHAUDHARY ने कहा…

अतीत की यादे कितनी मधुर होती है आपकी कविता में छलक रहा है.

Amit Sharma ने कहा…

फिजाओं में घुली रेशम नशीला
हो रहा मौसम,
ओढ़कर फूल का चादर सिमटती
जा रही शबनम,
हौले से तुम्हारा गुनगुनाना
अच्छा लगता है।

बहुत खूब मिश्राजी !

SURYABHAN CHAUDHARY ने कहा…

its rhiming scheme remind me william wordsworth

Dr Kiran Mishra ने कहा…

अकेले में तुम्हारी याद आना
अच्छा लगता है,
तुम्ही से रूठना तुमको मनाना
अच्छा लगता है।
kya baat hai janab e aali

gyanendra ने कहा…

अकेले में तुम्हारी याद आना
अच्छा लगता है।

ashish ने कहा…

सुन्दर भाव पूर्ण अभिव्यक्ति .

Harshkant tripathi"Pawan" ने कहा…

धुन्धलकी शाम जब मुंडेर से पर्दा गिराती है,
सुहानी रात अपनी लट बिखेरे, पास आती है,
तुम्हारा चाँद सा यूँ छत पे आना, अच्छा लगता है।
अनुभव तो नहीं किया है मगर सोच के अच्छा लग रहा है. Nice post.

ZEAL ने कहा…

.

प्यार में रूठना और मनाना दोनों होना ही चाहिए। नहीं तो प्रेम अधूरा है। वरना लोग तो बात-बात पर रूठते हैं , पर मनाना नहीं जानते। सुन्दर रचना।

.

वाणी गीत ने कहा…

ह्म्म्म...रूठे कोई कैसे उससे जो मानना जानता ही नहीं ...
रूठना, मनाना रिश्तों में ताजगी बनाये रखता है ...
अच्छी कविता !

rc pandey ने कहा…

दर्द जब दिल का हद से बढ़ गया
उठा के कलम, कागज़ पे "आदित्य" अपनी बात कह गया
किसे ने कहा दीवाना है, किसी ने कहा पागल है
और पढ़ के कोई उस कागज़ को मुझे शायर कह गया
किसी ने कहा ग़ज़ल आपकी काबिले तारीफ है
कोई पढ़ के चंद शब्द इसको बकवास कह गया
किसी को इसमें उसका महबूब नज़र आया किसी को किसी कि बेवफाई
किसी ने कहा ये तो मेरे दिल की बात कह गया
ना जाना किसी ने लिखने वाले के दर्द को
जो ग़ज़ल के हर शब्द के साथ आंसूओ मे बह गया
सो गया जो कभी गुमनामियो के अंधेरो मे जाके आदित्य
आके मेरी नज्मो कि रोशनियों ने कहा उठ जाओ अब सवेरा हो गया

palash ने कहा…

रुमानियत भरे गीत को पढना अच्छा लगता है ,
रूठ कर प्यार को आजमाना अच्छा लगता है ।
मनाने का फिर इंतजार करना अच्छा लगता है ,
बलागिंग का आपका ये अंदाज अच्छा लगता है ॥

RC PANDEY ने कहा…

साथ चलने का संकल्प दृड़ हो जायेगा, एक से एक मिल कारवां हो जायेगा।
जो कारवां के आगे झुक जायेगा, वह सभी की नज़रों में आसमां हो जायेगा॥

Unknown ने कहा…

nice one ,,, a heart touching writing...........!!!

Neetu Singhal ने कहा…

हम मनाएँ भी न तुम रुसवा भी रहो..,
हमें गिला भी न हो तुम बेवफ़ा कहो.....

Unknown ने कहा…

Shahrukh I love you sana my jaaaaan

Unknown ने कहा…

बहुत खूब